जानें वीर तेजाजी महाराज की जन्मस्थली खरनाल के बारे में

जय वीर तेजाजी की बंधुओं..वीर तेजाजी धाम खरनाल....वीर तेजाजी महाराज की जन्मस्थली गांव खरनाल है। इसे खुरनाल व खड़नाल भी कहा जाता है। यह गांव नागौर से दक्षिण-पश्चिम दिशा में 16 किमी दूर जौधपुर रोड़ पर बसा है। नागौर जिले का यह गांव देशभर के किसानों का काशी-मथुरा, मक्का-मदीना है। खरनाल की भूमि में कृषि गौ अमृत न्याय व मानवता की इबारतें सत्यवादी वीर व तपधारी जति तेजा द्वारा लिखी गई।खरनाल गांव के मध्य में वीर तेजाजी महाराज का तीमंजिला भव्य मंदिर बना हुआ है। जिसका जिर्णोद्धार वि.सं. 1943 (1886) को हुआ था। मंदिर पर लिखे शिलालेख पर जिर्णोद्धार कराने वालों की सूचि के अलावा एक दोहा भी लिखा है-"खिजमत हतौ खिजमत, शजमत दिन चार।चाहै जन्म बिगार दै, चाहै जन्म सुधार।।"खरनाल के पूर्व में 1 किमी की दूरी पर तालाब की पाल पर बहन राजल बाई का 'बूंगरी माता' के नाम सेमंदिर बना हुआ है। जो कि भातृ प्रेम का उत्कृष्ट उदाहरण है।खरनाल कभी एक गणराज्य हुआ करता था। जिसके भू-पति वीर तेजाजी के वंशज हुआ करते थे। वे एक गढी मेंरहा करते थे। खरनाल तेजाजी मंदिर के बगल में उस गढी के भगानावशेष आज भी देखे जा सकते हैं। वर्तमान में खरनाल ग्राम पंचायत के रूप में विधमान है। यहां लगभग 600 घर है। इस गांव में धौलिया गौत्री जाटों के लगभग 200 घर है। धौलियों के अलावा यहां लगभग 7-8 जाट गौत्रों का निवास है। #खुशी_की_बात_की_वीर_तेजाजी_महाराज_को_अपनी_जाति_का_बता_दुष्प्रचारित_करने_वाले_राजपूतों_का_इस_गांव_में_एक_भी_घर_नहीं_है।जाटों के अलावा यहां समस्त किसान जातियों व दलित जातियों का निवास है। जो एकमत तेजाजी को अपना ईष्टदेव मानते हैं।यहां की वर्तमान सरपंच चिमराणी निवासी मनीषा ईनाणियां है।धोलिया जाटों के भाट भैरूराम डेगाना के अनुसार वीर तेजाजी महाराज के षडदादा श्री उदयराज जी ने खौजा-खौखरों से खुरनाल/करनाल को जीतकर वर्तमान खरनाल बसाया था। खरनाल 24 गांवो का गणराज्य था। जिसके भूपति/गणपती उदयराज से लेकर ताहड़जी धौलिया तक हुए।खरनाल के दक्षिण में धुवा तालाब है। जो कि धवलराय जी धौलिया (द्वितीय) द्वारा खुदवाया गया। यह तालाब वर्ष भर गांव की प्यास बुझाता है। तालाब की उत्तरी पाल पर एक भव्य छतरी बनाई हुई है जो किकोई समाधी जैसी प्रतीत होती है। इस पर वि.सं. 1022 व 1111 लिखा हुआ है। यह 'बड़कों की छतरी' कहलाती है। इसी तालाब के एक छौर पर तेजल सखी लीलण का भव्य समाधी मंदिर बना हुआ है। वहीं दूसरी तरफ नवनिर्मित गजानंद जी (2009) व महादेव जी (2000) के मंदिर है। इसके अलावा बेहद प्राचीन ठाकुर जी का मंदिर बना हुआ है। खरनाल के कांकड़ में खुदे समस्त तालाबों के नाम वीरतेजाजी महाराज के पूर्वजों पर ही है।खरनाल गांव के बाहर की तरफ जौधपुर हाईवे पर लगभग 7-8 बीघा में मैला मैदान स्थित है। इसी मैदानमें सड़क से 50 मीटर की दूरी पर "सत्यवादी वीर तेजाजी महाराज" की 6-7 टन वजनी भव्य व विशाललीलण असवारी प्रतीमा लगी हुई है।जिसका निर्माण स्व.रतनाराम जी धौलिया की चिरस्मृती में उनकी धर्मपत्नी कंवरीदेवी व सुपुत्रों द्वारा 2001 में करवाया गया।मैला मैदान में एक मंच बना हुआ है जहां पर तेजादशमी को विशाल धर्मसभा होती है।जिसमें देशभर के लाखों किसान जुटते हैं।अभी वर्तमान में "अखिल भारतीय वीर तेजाजी महाराज जन्मस्थली संस्थान, खरनाल' द्वारा 2-3 बीघा जमीन और खरीदी गई है। जहां वीर तेजाजी महाराज का भव्य व आलिशान मंदिर बनाया जाना प्रस्तावित है।"अखिल भारतीय वीर तेजाजी महाराज जन्मस्थली संस्थान, खरनाल' के चुनाव हाल ही में सम्पन्न हुए हैं।इसके वर्तमान अध्यक्ष 'श्री सुखाराम जी खुड़खुड़िया' है तथा पूर्व अध्यक्ष 'श्री अर्जुनराम जी महरिया' थे।वीर तेजाजी महाराज मुख्य मंदिर के सेवक "श्री मनोहर दास जी महाराज" है। वीर तेजाजी मंदिर, खरनालके गादिपती पर वर्तमीन में श्री दरियाव जी धौलिया आसीन है। जिनमें तेजाजी का भाव आता है। इनके अलावा औमप्रकाश जी धौलिया भी तेजाजी महाराज के 'घुड़ला' है। मंदिर के गर्भ गृह में वीर तेजाजी महाराज, लीलण सखी व गौमाता के बेहद सुंदर स्वर्ण लेपित धातुमूर्तियां विराजमान है। जिनकी सुबह शाम पूजा अर्चना होती है। वैसे तो वर्षपर्यंत तेजाभक्त दर्शनार्थ खरनाल आते है मगर सावण भादवा माह में खरनाल धाम तेजाभक्तों से अटा रहता है। यहां तिल रखने की भी जगह नही मिलती। गांव गांव सेडीजे पर नृत्य करते वीर तेजाजी महाराज के संघ मेले में चार चांद लगा देते है। बरसात की रिमझिम में तेजाभक्तों के जयकारे एक अलग ही माहौल बना देते है। भादवा शुक्ल नवमी की रात 'माता सती पेमल'को समर्पित होती है। उनके आशीष व अंतिम वाणी के आदेशानुसार नवमी की रात जगाई जाती है। अर्थात् नवमी को रातभर तेजाभक्त रात्री जागरण करते है। खरनाल गांव में रात्री जागरण का कार्यक्रम बेहद भव्य होता है। पहले वीर तेजल महाराज की पूजा अर्चना तत्पश्चात तेजा मंदिर दालान में विभिन्न गांवो से पधारे 'तेजागायकों' द्वारा रातभर टेरैं दी जाती है। झिरमीर बरसात के तेजागायन का लुत्फ उठाना एक अलग ही आनंद से सराबोर कर देता है।भादवा सुदी दशम को मुख्य मेले का आयोजन होता है। जिसमें देश प्रदेश से तेजाभक्त दर्शनार्थ उपस्थित होते है। दर्शनौं का यह क्रम रात तक चलता रहता है। शाम को मेला मैदान में धर्मसभा का आयोजन किया जाता है जिसमें सर्वसमाज के गणामान्य व्यक्ति अपना उद्धबोधन देते है।वीर तेजा दशमी को पूरे नागौर जिले के सरकारी प्रतिष्ठानों में जिला कलक्टर महोदय द्वारा राजकीय अवकाश घोषित किया जाता है।आप सभी तेजाभक्तों से निवेदन की इस बार तेजादशमी को खरनाल गांव के समस्त दर्शनीय स्थलों पर जरूरशीश नवाजे। इस गांव के कण कण में देवात्मा वीर तेजाजी महाराज का सत व अमर आशीषें मौजूद है।आप सभी तेजाभक्तों का मैं 11 व 12 सितंबर को खरनाल धाम पधारने का मधुर निमंत्रण देता हूं।खरनाल गांव से मेरे बड़े भाई "रणजीत जी धौलिया" (युवा कांग्रेस नेता, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष न

जानें वीर तेजाजी महाराज की जन्मस्थली खरनाल के बारे में
जानें वीर तेजाजी महाराज की जन्मस्थली खरनाल के बारे में
जय वीर तेजाजी की बंधुओं..वीर तेजाजी धाम खरनाल....वीर तेजाजी महाराज की जन्मस्थली गांव खरनाल है। इसे खुरनाल व खड़नाल भी कहा जाता है। यह गांव नागौर से दक्षिण-पश्चिम दिशा में 16 किमी दूर जौधपुर रोड़ पर बसा है। नागौर जिले का यह गांव देशभर के किसानों का काशी-मथुरा, मक्का-मदीना है। खरनाल की भूमि में कृषि गौ अमृत न्याय व मानवता की इबारतें सत्यवादी वीर व तपधारी जति तेजा द्वारा लिखी गई।
खरनाल गांव के मध्य में वीर तेजाजी महाराज का तीमंजिला भव्य मंदिर बना हुआ है। जिसका जिर्णोद्धार वि.सं. 1943 (1886) को हुआ था। मंदिर पर लिखे शिलालेख पर जिर्णोद्धार कराने वालों की सूचि के अलावा एक दोहा भी लिखा है-"खिजमत हतौ खिजमत, शजमत दिन चार।चाहै जन्म बिगार दै, चाहै जन्म सुधार।।"खरनाल के पूर्व में 1 किमी की दूरी पर तालाब की पाल पर बहन राजल बाई का 'बूंगरी माता' के नाम सेमंदिर बना हुआ है। जो कि भातृ प्रेम का उत्कृष्ट उदाहरण है।खरनाल कभी एक गणराज्य हुआ करता था। जिसके भू-पति वीर तेजाजी के वंशज हुआ करते थे। वे एक गढी मेंरहा करते थे।
खरनाल तेजाजी मंदिर के बगल में उस गढी के भगानावशेष आज भी देखे जा सकते हैं। वर्तमान में खरनाल ग्राम पंचायत के रूप में विधमान है। यहां लगभग 600 घर है। इस गांव में धौलिया गौत्री जाटों के लगभग 200 घर है। धौलियों के अलावा यहां लगभग 7-8 जाट गौत्रों का निवास है।
खुशी_की_बात_की_वीर_तेजाजी_महाराज_को_अपनी_जाति_का_बता_दुष्प्रचारित_करने_वाले_राजपूतों_का_इस_गांव_में_एक_भी_घर_नहीं_है। जाटों के अलावा यहां समस्त किसान जातियों व दलित जातियों का निवास है। जो एकमत तेजाजी को अपना ईष्टदेव मानते हैं।

यहां की वर्तमान सरपंच चिमराणी निवासी मनीषा ईनाणियां है।धोलिया जाटों के भाट भैरूराम डेगाना के अनुसार वीर तेजाजी महाराज के षडदादा श्री उदयराज जी ने खौजा-खौखरों से खुरनाल/करनाल को जीतकर वर्तमान खरनाल बसाया था। खरनाल 24 गांवो का गणराज्य था। जिसके भूपति/गणपती उदयराज से लेकर ताहड़जी धौलिया तक हुए।खरनाल के दक्षिण में धुवा तालाब है। जो कि धवलराय जी धौलिया (द्वितीय) द्वारा खुदवाया गया। यह तालाब वर्ष भर गांव की प्यास बुझाता है। तालाब की उत्तरी पाल पर एक भव्य छतरी बनाई हुई है जो किकोई समाधी जैसी प्रतीत होती है। इस पर वि.सं. 1022 व 1111 लिखा हुआ है। यह 'बड़कों की छतरी' कहलाती है।
इसी तालाब के एक छौर पर तेजल सखी लीलण का भव्य समाधी मंदिर बना हुआ है। वहीं दूसरी तरफ नवनिर्मित गजानंद जी (2009) व महादेव जी (2000) के मंदिर है। इसके अलावा बेहद प्राचीन ठाकुर जी का मंदिर बना हुआ है। खरनाल के कांकड़ में खुदे समस्त तालाबों के नाम वीरतेजाजी महाराज के पूर्वजों पर ही है।खरनाल गांव के बाहर की तरफ जौधपुर हाईवे पर लगभग 7-8 बीघा में मैला मैदान स्थित है। इसी मैदानमें सड़क से 50 मीटर की दूरी पर "सत्यवादी वीर तेजाजी महाराज" की 6-7 टन वजनी भव्य व विशाललीलण असवारी प्रतीमा लगी हुई है।जिसका निर्माण स्व.रतनाराम जी धौलिया की चिरस्मृती में उनकी धर्मपत्नी कंवरीदेवी व सुपुत्रों द्वारा 2001 में करवाया गया।मैला मैदान में एक मंच बना हुआ है जहां पर तेजादशमी को विशाल धर्मसभा होती है।जिसमें देशभर के लाखों किसान जुटते हैं।अभी वर्तमान में "अखिल भारतीय वीर तेजाजी महाराज जन्मस्थली संस्थान, खरनाल' द्वारा 2-3 बीघा जमीन और खरीदी गई है। जहां वीर तेजाजी महाराज का भव्य व आलिशान मंदिर बनाया जाना प्रस्तावित है।
"अखिल भारतीय वीर तेजाजी महाराज जन्मस्थली संस्थान, खरनाल' के चुनाव हाल ही में सम्पन्न हुए हैं।इसके वर्तमान अध्यक्ष 'श्री सुखाराम जी खुड़खुड़िया' है तथा पूर्व अध्यक्ष 'श्री अर्जुनराम जी महरिया' थे।वीर तेजाजी महाराज मुख्य मंदिर के सेवक "श्री मनोहर दास जी महाराज" है। वीर तेजाजी मंदिर, खरनालके गादिपती पर वर्तमीन में श्री दरियाव जी धौलिया आसीन है। जिनमें तेजाजी का भाव आता है। इनके अलावा औमप्रकाश जी धौलिया भी तेजाजी महाराज के 'घुड़ला' है। मंदिर के गर्भ गृह में वीर तेजाजी महाराज, लीलण सखी व गौमाता के बेहद सुंदर स्वर्ण लेपित धातुमूर्तियां विराजमान है। जिनकी सुबह शाम पूजा अर्चना होती है। वैसे तो वर्षपर्यंत तेजाभक्त दर्शनार्थ खरनाल आते है मगर सावण भादवा माह में खरनाल धाम तेजाभक्तों से अटा रहता है। यहां तिल रखने की भी जगह नही मिलती। गांव गांव सेडीजे पर नृत्य करते वीर तेजाजी महाराज के संघ मेले में चार चांद लगा देते है। बरसात की रिमझिम में तेजाभक्तों के जयकारे एक अलग ही माहौल बना देते है। भादवा शुक्ल नवमी की रात 'माता सती पेमल'को समर्पित होती है।
उनके आशीष व अंतिम वाणी के आदेशानुसार नवमी की रात जगाई जाती है। अर्थात् नवमी को रातभर तेजाभक्त रात्री जागरण करते है। खरनाल गांव में रात्री जागरण का कार्यक्रम बेहद भव्य होता है। पहले वीर तेजल महाराज की पूजा अर्चना तत्पश्चात तेजा मंदिर दालान में विभिन्न गांवो से पधारे 'तेजागायकों' द्वारा रातभर टेरैं दी जाती है। झिरमीर बरसात के तेजागायन का लुत्फ उठाना एक अलग ही आनंद से सराबोर कर देता है।भादवा सुदी दशम को मुख्य मेले का आयोजन होता है। जिसमें देश प्रदेश से तेजाभक्त दर्शनार्थ उपस्थित होते है। दर्शनौं का यह क्रम रात तक चलता रहता है।
शाम को मेला मैदान में धर्मसभा का आयोजन किया जाता है जिसमें सर्वसमाज के गणामान्य व्यक्ति अपना उद्धबोधन देते है।वीर तेजा दशमी को पूरे नागौर जिले के सरकारी प्रतिष्ठानों में जिला कलक्टर महोदय द्वारा राजकीय अवकाश घोषित किया जाता है।आप सभी तेजाभक्तों से निवेदन की इस बार तेजादशमी को खरनाल गांव के समस्त दर्शनीय स्थलों पर जरूरशीश नवाजे। इस गांव के कण कण में देवात्मा वीर तेजाजी महाराज का सत व अमर आशीषें मौजूद है।
Source: Balveer Ghintala 'तेजाभक्त'मकराना नागौर