अमर हो गया जाटों का सूरज, दे गया गौरवगान हमें

तब एक सूरज निकला, ब्रज भौम के शोलों से,
जब पराक्रमी बदन के घर, पैदा हुआ बाहुबली जाट,
तुर्कों के बनाये साम्राज्य का, मिटा दिया नामो निशां,
सुजान नहर लाके उसने, कृषकों को जीवनदान दिया,
7 रजपूती सेनाओ का, अकेला सूरज कर गया नरसंहार,
मुगल मराठों का कलेजा, अकेले सूरज ने हिला दिया,
मगर छोटी गढी कुम्हेर तक को, यह मौर्चा जीत न पाया,
मराठों की दुर्दशा बता रहा, तृतीय समर ये पानीपत,
रानी किशोरी ने ही तब, शरण में लेके इनकी जान बचाई,
सूरज ने उसकी नींव हीला दी, जाटों की ताकत का वैभव था,
जाट प्लेटो गजमुखी वह, फौलादी जिस्म गर्वीला खून,
दुश्मन की हर चालों को, हंसते हंसते ही बिगाड़ दिया,
गर्व था जाटवंश के होने का, न घमंडी न अभिमानी था,
सहोदरा की माटी में तब, इसका रक्त विलय हुआ,
जंगी मैदानों में तलवारों से, वैरी मस्तक उड़ा जाता था,
इस सूरज ने वही इतिहास रचा, शत शत तुम्हें प्रणाम है,
कर गया इतिहास उज्ज्वल, दे गया इक अभिमान हमें,
सदा वैभवशाली तेरा शौर्य रहे, सदा विराजो ह्रदय में मेरे,
बलवीर घिंटाला तेजाभक्त
मकराना नागौर
9414980515